संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, जिसे करने से मिटते है सारे कष्ट और होता है पापों का नाश

संकटों का नाश करते है श्री गणेश। बुधवार 22 दिसंबर को है संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। जिसे करने मात्र से काटेंगे आपके सारे कष्ट और होगा पापों का शमन। कैसे करें श्री गणेश को प्रसन्न और कैसे होगी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण, विस्तार से बता रहे है ज्योतिषविद विमल जैन...

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, जिसे करने से मिटते है सारे कष्ट और होता है पापों का नाश

फीचर्स डेस्क। सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री गणेश की महिमा अपरंपार है गौरी पुत्र श्री गणेश की आराधना से सुख समृद्धि और खुशहाली मिलती है। साथ ही जीवन के समस्त कष्टों का निवारण भी होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को सर्वोपरि माना जाता है। हर शुभ कार्यों के प्रारंभ में ही श्री गणेश की पूजा अर्चना करने का विधान है। सुख समृद्धि के लिए संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत रखने की धार्मिक मान्यता वर्षों से चली आ रही है। यह व्रत महिला और पुरुष के लिए समान रूप से फलदाई है। प्रख्यात ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि इस बार पौष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि बुधवार 22 दिसंबर को शाम 4:53 पर लगेगी जो कि अगले दिन गुरुवार 30 दिसंबर को शाम 6:28 तक रहेगी। चंद्रोदय रात्रि 7:56 पर होगा। इसका अर्थ है कि संकष्टि चतुर्थी व्रत बुधवार 22 दिसंबर को रखा जाएगा। और रात में चंद्र उदय होने के पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य देकर की पूजा अर्चना की जाएगी।

ऐसे करे श्री गणेश को प्रसन्न

विमल जैन के अनुसार संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान के पश्चात व्रतकर्ता को अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प,फल, गंध और कुश लेकर श्री गणेश के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सांय काल में दोबारा स्नान करके श्री गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्री गणेश को मोदक, दूर्वा अति प्रिय हैं इसलिए दूर्वा की माला ऋतु फल, मेवे और मोदक अवश्य अर्पित करने चाहिए। इससे श्री गणेश प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद देते हैं।

इन पाठों से होती है मनोरथ की पूर्ति

निर्मल जैन के मुताबिक श्री गणेश जी की विशेष अनुकंपा प्राप्त करने के लिए श्री गणेश स्तुति, श्री गणेश संकटनाशन ,श्री गणेश अथर्व शीर्ष, श्री गणेश श्रोत, श्री गणेश सहस्त्रनाम, श्री गणेश चालीसा और श्री गणेश जी संबंधित मंत्र आदि का पाठ जो भी संभव है अवश्य किया जाना चाहिए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि श्री गणेश अथर्वशीर्ष का प्रातःकाल पाठ करने से रात्रि के समस्त पापों का नाश होता है। संध्या के समय पाठ करने पर दिन के सभी पापों का शमन होता है। यदि विधि विधान पूर्वक 1000 पाठ किए जाए तो मनोरथ की पूर्ति होती है और धर्म ,अर्थ ,काम, मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में ग्रहों की दशा के अनुसार प्रतिकूल फल मिल रहा हो तो संकष्टि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सभी विघ्नों के विनाशक प्रथम पूज्य देव भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करके लाभ उठाएं। जिन्हें जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा हो उन्हें भी आज के दिन विधि विधान पूर्वक की गणेश जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।  श्री गणेश की अर्चना से सब संकटों का निवारण तो होता ही है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली का सुयोग बना रहता है। इसलिए ये व्रत जरूर करें। और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रयत्न करें।

इनपुट सोर्स : ज्योतिषविद विमल जैन