शक्ति स्वरूपा : स्लम एरिया के बच्चों का ज्ञान की रोशनी से जीवन रोशन कर रही है प्रतिभा सिंह

नवरात्री पर फोकस हर लाइफ आप के लिए ले कर आया है एक स्पेशल सीरीज " शक्ति स्वरूपा " जिसमे हम सोसाइटी में ऑड्स से लड़ कर अपना मुकाम बनाने और समाज के लिए काम करने वाली आम महिलाओं की कहानियां ले कर आ रहे है। आज हम मिलेंगे स्लम एरिया के बच्चों का जीवन सुधारने वाली महिला प्रतिभा सिंह से जिन्होंने अपने ऊपर पड़ने वाले सामाजिक दवाब की चिंता नहीं की और भिक्षुक बच्चों को ज्ञान की रोशनी से भर दिया।

शक्ति स्वरूपा : स्लम एरिया के बच्चों का ज्ञान की रोशनी से जीवन रोशन कर रही है प्रतिभा सिंह

फीचर्स डेस्क। सभी बच्चों की जिंदगी आसान नहीं होती। न ही सभी बच्चों को प्रतिभा सिंह जैसी महिला मिलती है जो बिना किसी निजी स्वार्थ के बच्चों का जीवन संवारती है। प्रतिभा का सपना है कि वो बच्चे जो समाज से निष्कासित है उन्हे समाज में एक नई पहचान दिलवाना। उनके सपने को पूरा करने के लिए क्या कर रही है वो आइए जानते है अपनी "शक्ति स्वरूपा" सीरीज में।

बच्चों की दशा ने बदली सोचने की दिशा

प्रतिभा कहती है कि स्लम बस्तियों में यूं ही गरम कपड़े देने गई थी और पता नहीं था कि यहीं से मुझे अपने जीवन को सार्थक बनाने की राह मिलेगी। मैंने वहां बच्चों को देखा जो बिना कपड़ों के घूम रहे थे बिना नहाए धोए। उनकी मां वहां नहीं थी उनके पास वो भीख मांगने गई थी। पीछे से उनके बच्चे क्या कर रहे क्या खा रहे उसकी कोई चिंता नहीं उन्हें।मैं समझ गई उन बच्चों की कोई गलती नहीं। तभी मैंने तय कर लिया कि मुझे उन बच्चों के लिए कुछ करना है। ऐसे नहीं देख सकती मैं उनको। फिर मैं रोज बच्चों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाती रही उन बस्तियों में। उनके मां पिता से मिलती रही ताकि उनके माता पिता का विश्वास जीत सकूं क्योंकि मेरी सोच उनको सिर्फ खिलाना पिलाना ही नहीं था मैने तो बच्चों के लिए कुछ और ही सोच रखा था। जिसकी राह कठिन जरूर थी। पर मैने ठान लिया था उन बच्चों के लिए कुछ करना है।

राह नहीं थी आसान

जब किसी नेक काम को करो तो राह में कई तकलीफें आती ही है। उन मुश्किलों से जो घबरा जाओ तो इंसान कुछ नहीं कर सकता। पर अगर उन मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ जाओ तो फिर कोई नहीं रोक सकता आपको वो काम करने से। प्रतिभा कहती है मेरी राह भी आसान नहीं थी। 6 महीने मैंने बच्चों का विश्वास जीतने में लगाए। फिर निश्चय किया कि उनको शिक्षित करूंगी तभी उनके जीवन को संवार पाऊंगी। मैंने जुलाई 2013 को ये शुरुवात की। अपने घर में आगे की जगह ली जहां मैं बच्चों को पढ़ा सकूं। घर वाले पसंद नहीं करते थे। पर फिर भी मैंने जिद करके उस जगह की व्यवस्था की। अब दूसरी परेशानी थी कि स्लम एरिया के लोग अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते थे। बच्चों को भेजने में उनको यह बात सताती थी अगर बच्चे पढ़ने चले जाएंगे तो हमारे लिए भीख कौन मांगेगा। बच्चों की मां हमसे कहते कि बच्चों को पढ़ाने के लिए हम तभी भेजेंगे जब आप हमें 50 रुपए देंगी। बड़ी मुश्किल से बच्चे आए जब बच्चों ने आना शुरु किया तो वो जंगली जैसे थे । मैने उनको अच्छे से नहलाया साफ कपड़े पहनाए। अच्छा खाना खिलाया। समय लगा पर बच्चे धीरे धीरे सीख गए। उनके परिवार वाले भी समझे उन्होंने भीख मांगना छोड़कर घर घर काम करना शुरू किया। मैं पहले अपनी ही बचत से सारी व्यवस्था करती थी। फिर जब बच्चों में बदलाव देखा तो फिर मेरे पति ने भी मेरा साथ देना शुरू किया। आज ऐसे कई बच्चे है जो अच्छे स्कूल में पढ़ रहे है। और उनकी पेरेंट्स मीटिंग मैं ही अटेंड करती हूं। और जो मेरी संस्था में बच्चे है उनको एजुकेशन के अलावा कराटे,योग,संगीत,क्राफ्ट, और संस्कृत की अलग से क्लास लेती हूं। ताकि बच्चों का सर्वांगीर्ण विकास हो। इन बच्चों में समझ का विकास हुआ है अब ये दूसरे बच्चों को समझते है कि भीख नहीं मांगनी चाहिए। ये मेरे लिए बड़ी अचीवमेंट है। काम मुश्किल जरूर था पर मैंने हार नहीं मानी।

मिले कई सम्मान

प्रतिभा कहती है कि उन्होंने सम्मान के लिए कोई काम नहीं किया। उन्होनें जितने भी भिक्षुक बच्चों के जीवन को संवारा वो ही उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। वैसे प्रतिभा को इस सराहनीय कार्य के लिए 78 अलग अलग संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। जिनमे से स्टेट गवर्नमेंट द्वारा नारी शक्ति सम्मान से प्रतिभा को नवाजा गया। कई न्यूज चैनल्स ने प्रतिभा पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है।

प्रतिभा जब खुद कोरोना पीड़ित हुई तब उन्होंने महसूस किया कि जरूरतमंद लोगों को खाना कैसे मिलता होगा। तब ठीक होकर उन्होंने निश्चय किया कि वो कोरोना पीड़ित को फ्री में खाना पहुचाएंगी। पहले खुद ही ये नेक कार्य किया फिर धीरे धीरे लोग जुड़ते गए मदद के लिए। वाराणसी मीडिया ने भी प्रतिभा को उनके कार्यों के लिए सराहा है।

संक्षिप्त परिचय

नाम..प्रतिभा सिंह

हसबैंड नाम..राजेश सिंह

पुत्र नाम..शाश्वत सिंह

शिक्षा..सितार में प्रयाग संगीत समिति से 9 साल का प्रवीण कोर्स किया है।

रुचि..सितार और संगीत, घूमना फिरना, खाना बनाना और खिलाना ,बच्चों के साथ खेलना उन जैसा बन जाना

सक्सेस मंत्र..कभी किसी की मत सुनो, अगर तुम सही हो तो अपने दिल की सुनो। दिल से जो आवाज आती है वो हमेशा आपको सही दिशा की ओर लेकर जाती है।

प्रतिभा सिंह ने हमेशा अपने दिल की सुनी। लोगों के विरोधों को झेल कर खुद पर भरोसा करके वो आगे बढ़ी। ऐसी नारी शक्ति को हमारा नमन। सही मायने में ये है माता रानी का रूप ममता की मूरत। जिन्होंने अपने ही नही पराए बच्चों को भी अपना प्यार दिया।