अमृता प्रीतम और सूर्य कांत त्रिपाठी 'निराला' की याद दिलाती है एक सांस सबके हिस्से से'

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अनिल मिश्र ने कहा कि पुस्तक की रचनाओं में मनोवैज्ञानिक,दार्शनिक व चिंतन शील विषयों को देखा जा सकता है...

अमृता प्रीतम और सूर्य कांत त्रिपाठी 'निराला' की याद दिलाती है एक सांस सबके हिस्से से'

लखनऊ सिटी। श्री बहादुर साह सुस्मृति एवं प्रमीला देवी सामाजिक, साहित्यिक, संस्कृतिक संस्था की ओर से हुए पुस्तक विमोचन समारोह में पायल लक्ष्मी सोनी' की नवीन कृति काव्य संग्रह ' एक सांस सबके हिस्से से' का विमोचन एल्डिको ग्रीन कॉलोनी स्थित 'होटल बेस्ट वेस्टर्न सागर सोना' गोमती नगर के सभागार में सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम मां वाणी के चित्र पर पुष्पार्चन कर दीप प्रज्वलन संपन्न हुआ, कवियित्री रेणु द्विवेदी के द्वारा मां वाणी का आव्हान किया गया। मंचस्थ अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र,तुलसी की माला से किया गया एवं भेंट स्वरूप भगवतगीता प्रदान की गई। विशिष्ट अतिथि द्वय साहित्यभूषण देवकीनंदन शांत एवं वरिष्ठ कहानीकार महेद्र भीष्म रहे एवं वरेण्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार डॉ.अजय प्रसून एवं ग़ज़लकार कृपाशंकर विश्वास लखनवी रहे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता द्वय वरिष्ठ उपन्यासकार डॉ दयानंद पांडेय एवं समीक्षक डॉ. विनय दास रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री अनिल मिश्र ने की। सभागार में उपस्थित लोगों का भी स्वागत किया गया। तत्पश्चात पुस्तक का लोकार्पण किया गया। राजीव वर्मा 'वत्सल' के बांसुरी वादन के पश्चात विशिष्टजनों द्वारा आशीर्वाद उद्बोधन हुआ, जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अनिल मिश्र ने कहा कि पुस्तक की रचनाओं में मनोवैज्ञानिक,दार्शनिक व चिंतन शील विषयों को देखा जा सकता है।यह पुस्तक कविता के नए विधा को जन्म देती है। डॉ. अजय प्रसून ने कहा कि पुस्तक की रचनाएं नारी मानस के अंतर्द्वंद् में उलझी हुई एक विचारोत्तेजक कविताएं है,एक छटपटाहट के रूप में अपने संघर्षों को प्रस्तुत करती है। व्यथित नारी की संवेदनाओं को प्रदर्शित करती कविताएं अपनी भावना को प्रदर्शित करती है।

कृपाशंकर विश्वास ने कहा कि एक मिलीग्राम से लेकर कुंटल और टन तक के वजन के बांट इनके लफ़्ज़ों को मिले हुए है,जिसका इन्होंने अपनी रचनाओं में प्रयोग किया है,इन्होंने सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'सुमित्रानंदन पंत के साथ-साथ अमृता प्रीतम,केशव माणिक वर्मा की परंपरा को पोषित करने में पूरी सामर्थता दिखाई। पुस्तक परिचर्चा के मुख्य वक्ता डॉ.दयानंद पांडेय ने पुस्तक के विषय मे कहा कि महादेवी वर्मा जी की कविता 'मैं नीर भरी दुःख की बदली' यह दुःख की बदली स्त्रियों के जीवन से गयी नही हैं यह पायल की कविताएं बताती हैं। सहजता से बड़ी बात कहना एक कठिन कार्य हैं और इनकी रचनाओं में सरलता से बड़े विषय उठाए हैं।

डॉ.विनय दास ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से आधी आबादी का प्रतिनिधित्व किया गया इन्होंने जयशंकर प्रसाद और मैथलीशरण गुप्त के मूलमंत्र को ग्रहण किया,इनकी रचनाओं में महिलाओं से जुड़े संघर्ष हैं, सवाल हैं तो जवाब भी हैं संवेदना और दुर्दशा है। पुस्तक में आज के समाज को बांधने की कोशिश की गई हैं। पुस्तक परिचर्चा के उपरांत संस्था द्वारा सात विभूतियों को श्री बहादुर साह सुस्मृति सम्मान प्रदान किया गया। जिसमें हरि प्रसाद अग्रवाल, डॉ. सत्या सिंह एवं राजीव वर्मा 'वत्सल' को साहित्य सेवा सम्मान,शिखा सिंह को समाज सेवा सम्मान, चन्द्रभास एवं गिन्नी सहगल को कला सेवा सम्मान एवं शशि भूषण 'संज्ञा' को पत्रकारिता सेवा सम्मान प्रदान किया गया।

आयोजन में लखनऊ शहर के विशिष्ट जनों की उपस्थिति रही, जिनमें राम बहादुर मिश्र, डॉ गंगा प्रसाद शर्मा 'गुण शेखर', आर्यावर्ती सरोज, शालू शुक्ला,विनीता मिश्रा, पल्लवी आशीष, विजय भाष्कर पांडेय, माधुरी महापाश, नवल किशोर, गिरिराज शर्मा, निर्भय नारायण, आशीष कुलश्रेष्ठ, दीपमाला, नीरज, वेदीश, शाश्वत, देवर्षि, कीर्ति, प्रिंस कपुर, प्रवीन द्विवेदी, अरविंद कुमार, विशाल मिश्र, जूही कुमारी, पूजा गोंड,अतुल अरोरा, बीना राय,श्रुति मिश्रा, नेहा, संजीव द्विवेदी, रूबी सिंह, डॉ. अलका शर्मा, अनुपम सिंह, धनलक्ष्मी, डॉ.अर्चना प्रकाश,इरशाद राही,अर्चना गुप्ता, शिवानी, विनायक, शीतल, जयंती, कीर्ति जायसवाल, मेघा, विनय अग्रवाल, गीता सहगल, संजीव श्रीवास्तव, अजय वर्मा, अजय मिश्रा, एकता सिंह, वी.के. द्विवेदी, आज़ाद गुप्ता, साधना त्रिपाठी, योगेश, विवेक द्विवेदी, इत्यादि लोगो की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन राजीव वर्मा 'वत्सल' ने किया,एवं धन्यवाद ज्ञापन भाजपा प्रदेश महामंत्री जनजाति मोर्चा के विद्या भूषण गोंड ने किया। कार्यक्रम का संयोजन अखिलेश सोनी ने किया।