रेनू शब्दमुखर के प्रश्न अर्जुन के प्रश्न जैसे तीखे लेकिन आनंद भी ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने में आता है : हरिप्रकाश राठी

रेनू शब्दमुखर के प्रश्न अर्जुन के प्रश्न जैसे तीखे लेकिन आनंद भी ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने में आता है : हरिप्रकाश राठी

जयपुर सिटी। राजस्थान साहित्य अकादमी एवं संपर्क साहित्य संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में  ज्ञानविहार स्कूल परिसर जयपुर में लेखक से मिलिए सृजन संवाद में जोधपुर के प्रख्यात कथाकार हरिप्रकाश राठी से संपर्क समन्वयक महासचिव  रेनू शब्द मुखर का उनके कथासाहित्य पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन व सलोनी क्षितिज की मधुर सरस्वती वंदन के गायन से हुआ वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी एवं डॉ प्रबोध गोविल,प्रिंसीपल राकेश उपाध्याय ने उनका शाल एवं माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। स्वागत की परंपरा में ही ज्ञान विहार के विद्यार्थियों ने हरिप्रकाश राठी  को फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया व कार्यक्रम में जुड़कर साहित्य के प्रति रुचि जताई।

तत्पश्चात वार्ताकार रेनूशब्द मुखर ने उनके  साहित्य  एवं वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य से जुड़े अनेक सवाल जैसे आप कहानी कैसे लिखते हैं ? इसके क्या कंपोनेंट्स हैं?  इतने कथ्य किरदार कैसे जुटाते हैं ? क्या हम भी कहानी लिख सकते हैं ? कुछ लेखक प्रसिद्ध होने के लिए अश्लीलता का दामन क्यों थामते हैं?  आपकी कहानियों में मारवाड़, वहां की लोकोक्तियां ,रेगिस्तान,  परिवेश अधिक क्यों है?  क्यों न हमारी कहानियां भारतीय दर्शन, अध्यात्म को भी बिम्बित करे ? आज की आलोचना पर आप क्या कहेंगे? देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बनाने वाली कहानियां अब क्यों नहीं मिलती ?आदि सारगर्भित प्रश्नों का सहजता से उत्तर देते हुए  हरिप्रकाश राठी ने कहा कि पाठकों की आत्मा में आज भी साहित्य की भूख है , वे पढ़ना चाहते हैं बशर्ते उन्हें हृदयग्राही , सन्देशग्राही साहित्य पढ़ने को मिले। कहानियां सरल भाषा में सत्य की संवाहक हो। कहानी कहन का जादू है भाषा की बाजीगरी नहीं। कहानी में लोकसिद्धि आवश्यक है।

राठी जी के अनुसार रेनू शब्दमुखर के प्रश्न अर्जुन के प्रश्न जैसे तीखे , अर्थगर्भित  थे लेकिन आनंद भी  ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर देने में आता है कहा तत्पश्चात दर्शक दीर्घा में बैठे प्रबुद्ध जनों ने भी अपने मत एवं प्रश्न रखे। राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ रेखा गुप्ता ने राठी जी को प्रेमचंद की साहित्यिक परंपरा का बताते हुए उनके कथा- साहित्य को समाज को दिशा दिखाने वाला बताया। वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने भी राठी जी के साहित्य की प्रशंसा करते हुए उसे सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने वाला बताया।साहित्यकार की सामाजिक जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। उसे जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। साहित्य सभ्य समाज का कवच है , समाज के आगे चलने वाली मशाल है , साहित्यकार इसे जनसहयोग से ही रोशन रख सकता है।

उपस्थित कथाकार डॉ. प्रबोध गोविल ने कहा कि राठी जी ने अपने पात्रों के माध्यम से सूक्ष्म संवेदनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। अंत में संस्थान की वरिष्ठ संरक्षक डॉ. आरती भदोरिया ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रबोध गोविल,फारूख आफरीदी, नारायण सिंह जी,योगेंद्र जी, पवनेश्वरी वर्मा, डॉ.नीलम कालरा, डॉ.रेखा गुप्ता, डॉ.आरती भदोरिया,सुशीला शर्मा, एकता शर्मा, माधुरी कुमार, आशा अरोड़ा सहित जाने माने साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम में सुशिमा, वसु ,श्रेया सैनी, यशिका सोमवंशी,विकास गौड, श्रेया पटेल, राघव, दीक्षा तथा कनिष्का पटेल ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। कवयित्री सलोनी क्षितिज ने मंच का संचालन सुचारू रूप से किया।