शीला दावरे ने देश की फर्स्ट ऑटो ड्राइवर बन लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया अपना नाम

पुणे में रहने वाली शीला दावरे ने दुनिया की लेडीज़ के प्रति उनकी रूढ़िवादी सोच का सामना करते हुए अपने आप को देश की फर्स्ट ऑटो ड्राइवर बन की अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया और वो कैसे? आइए जानते हैं इस आर्टिकल में...

शीला दावरे ने देश की फर्स्ट ऑटो ड्राइवर बन लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया अपना नाम

फीचर्स डेस्क। कहते हैं कि लाइफ में कभी भी कुछ भी हो सकता है इसलिए हमेशा अपने आप को रेडी रखना चाहिए लाइफ में आने वाले उतार चढ़ावो के लिए। जी हां बेशक एजुकेशन बहुत इंपोर्टेंट हैं लाइफ को नई दिशा देने के लिए लेकिन अपनी खुद की सेल्फ पावर भी बहुत इंपोर्टेंट हैं क्योंकि वही हमें दुनिया की रूढ़िवादी सोच से लड़ना सिखाती है। जैसे पुणे में रहने वाली शीला दावरे ने दुनिया की लेडीज़ के प्रति उनकी रूढ़िवादी सोच का सामना करते हुए अपने आप को देश की फर्स्ट ऑटो ड्राइवर बन की अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया और वो कैसे? आइए जानते हैं इस आर्टिकल में।

18 ईयर की एज में घर छोड़ा

ये जान कर बेशक ताज्जुब होगा कि शीला दावेर ने अपने कोई फैमिलियर प्रॉब्लम्स की वजह से ओनली 18 ईयर की एज में अपना घर छोड़ दिया और अपनी हिम्मत और आत्म विश्वास के सहारे आ गई पुणे। पुणे में अपनी लाइफ स्टार्ट करना उनके लिए बिल्कुल भी इज़ी नही था पर निकल पड़ी अपनी किस्मत आजमाने। कहते हैं कि रोटी की भूख और तन ढकने के लिए कपड़ा और रहने के लिए छत की चाह किसी भी इंसान से कुछ भी करा लेती है पर शीला ने सही रास्ता चुना और फैसला किया कि वो ऑटो रिक्शा चलाएगी और अपनी हार्ड वर्क और सेल्फ रेस्पेक्ट के साथ अपनी लाइफ जियेगी।

शीला के इस फैसले में पुणे वासियों ने जताया विरोध

जी हाँ शीला का ये डिसीज़न लेना उतना मुश्किल नही था जितना मुश्किल था अकेले अपने डिसीज़न में चलना क्योकि वही रूढ़िवादी समाज आड़े आ गया। ये समाज आज से 20 साल पहले किसी लेडी को ऑटो रिक्शा ड्राइवर एक्सेप्ट नही कर सकता था, पर शीला अपने डिसीज़न से नहीं डिगी और निकल पड़ी किराया पर ऑटो रिक्शा लेने , पर एक लेडी को कोई ऑटो रिक्शा देने को राजी ही नहीं होता पर उन्होंने हार नही मानी और एक दिन उनकी कोशिश रंग लाई और उनको ऑटो रिक्शा किराए में मिल गया और धीरे धीरे अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने खुद का ऑटो रिक्शा खरीद लिया।

ऑटो के सफर में राह में मिला हमसफ़र

शीला अपनी मेहनत से अपना ऑटो रिक्शा चलाती और अपने खर्चे उठाती और सपने भी देखती की एक दिन उनकी खुद की एक ट्रेवल एजेंसी होगी  पर उनको ये नहीं मालूम था कि सपने देखते देखते एक दिन उनके सपनों का राजकुमार उनको मिल जाएगा। जी हाँ उनको शिरीष नाम का एक लड़का मिला और वो भी ऑटो ड्राइवर ही था । शीला की शिरीष से फ्रेंडशिप हुई और कब फ्रेंडशिप प्यार में बदल गई पता नही चला । कैसे जिंदगी के सफर में हमसफ़र मिल गया पता नही पड़ा और उन दोनों ने शादी कर ली और आज उनकी 2 बेटियाँ हैं और वो अपनी मैरिड लाइफ में बेहद खुश हैं।

शीला ने शिरीष के साथ मिल कर किया अपना सपना पूरा

शीला हमेशा से ही सपने देखती थी कि उसकी एक ट्रेवल एजेंसी होगी और शिरीष की आंखों में भी शीला का सपना बस गया और दोनों ने अपनी कड़ी मेहनत से अपने सपने को फुलफिल किया और ट्रेवल एजेंसी की नींव रखी और उन दोनों की मेहनत रंग लाई । आज वो अपनी ट्रेवल एजेंसी के जरिये अच्छा खासा बिजनेस कर रहे हैं।

शीला करती हैं इनकरेज, लेडीज़ को सेल्फडीपेंड बनने के लिए

शीला का मानना है कि ,ऐसा कोई काम नही जो वो न कर सके  इसलिए अपनी ही तरह बाकी लेडीज़ को भी वो मोटिवेट करती हैं ऑटो ड्राइवर बनने के लिए और शीला के साथ उनके हसबेंड शिरीष भी उनका पूरा सपोर्ट करते हैं। शीला चाहती हैं कि ऐसी कई जरूरतमंद लेडीज़ के लिए एक ड्राइविंग एकेडमी लॉन्च करें जिससे उनको एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिल सके।

शीला को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड से नवाजा गया

अपने करियर चॉयस की वजह से शीला को कई अवार्ड से नवाजा जा चुका है पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ वो अपनी बहुत खास उपलब्धि मानती हैं और साथ ही साथ शीला को हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ #bhartki lakshmi केम्पेन में भी फीचर होने का चांस मिला जिसे शीला अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि और अपना सौभाग्य मानती हैं।

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