Allergy : अस्थमा मरीजों के लिए बदलता मौसम किसी मुसीबत से कम नहीं, पढ़ें क्या कहते हैं Dr. S.K. Pathak

बदलते मौसम के चलते अस्थमा के मरीजों के लिए जो चीजें परेशानी का सबब बन सकती हैं उनमें मौसम के टेम्प्रेचर में बदलाव के साथ-साथ हवा में मौजूद पराग के कण, धूल-मिट्टी, धुआं, पॉल्यूशन जैसी चीजें भी शामिल हैं I होली का फेस्टिवल भी है...

Allergy : अस्थमा मरीजों के लिए बदलता मौसम किसी मुसीबत से कम नहीं, पढ़ें क्या कहते हैं Dr. S.K. Pathak

हेल्थ डेस्क। "अस्थमा के मरीजों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत बदलते मौसम के वक्त होती है। ऐसे में जैसे ही सर्दी से गर्मी का मौसम आ रहा हो या फिर जब गर्मी से सर्दी का मौसम आ रहा हो इस दौरान उनकी सांस उखड़ने लगती है और अस्थमा के अटैक आने लगते हैं I इस समय  गर्मी शुरू हो चुकी है। लेकिन सुबह और देर रात ठंड भी महसूस हो रहा हैं। बदलते मौसम में स्वास्थ्य के प्रति सतर्क नहीं रहने पर बच्चे हों या वयस्क बीमार पड़ रहे हैं। सर्दी-खांसी, एलर्जी, निमोनिया के साथ-साथ लोग बुखार की चपेट में आ रहे हैं। अस्थमा के साथ दिल के मरीजों को सावधानी बरतने की जरूरत है। थोड़ी सी लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है। रात के समय पंखा चलाकर सोना स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है। 

होली फेस्टिवल पर घी-तेल से बने चीजों से बचें

बदलते मौसम के चलते अस्थमा के मरीजों के लिए जो चीजें परेशानी का सबब बन सकती हैं उनमें मौसम के टेम्प्रेचर में बदलाव के साथ-साथ हवा में मौजूद पराग के कण, धूल-मिट्टी, धुआं, पॉल्यूशन जैसी चीजें भी शामिल हैं I होली का फेस्टिवल भी है, इसमें घी-तेल से बने चीजों का अत्याधिक सेवन भी अस्थमा मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकता हैं I ऐसे में आपको हेल्थ का ध्यान रखते हुए थोड़ा कम सेवन करना चाहिए। डॉ. एस.के पाठक के अनुसार – "केवल मौसम बदलने के समय ही नहीं बल्कि साधारण दिनों में भी अस्थमा के मरीजों को जिन चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए, उनमें एक्टिव एंड पैसिव स्मोकिंग, तेज महक, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, मॉस्किटो रिप्लेंट जैसी चीजें शामिल हैं I इसके साथ ही साथ सोफे, पर्दे, सॉफ्ट टॉयज़, कालीन और पालतू जानवरों से भी उनको दूरी बनाकर रखनी चाहिए I"

जाँच एलर्जी टेस्टिंग द्वारा कराएं

डॉ. पाठक ने यह भी बताया कि "एलर्जी के इलाज के लिए बाजार में कई सारे दवाईयां उलब्ध है, जो लेने पर तुरंत आराम तो देती हैं पर जैसे ही दवा का असर खत्म हो जाता हैं तो समस्या फिर से खड़ी हो जाती हैं, इसका स्थायी इलाज सिर्फ एकमात्र इम्युनोथेरेपि (वैक्सीन) ही हैं, जिसके द्वारा भविष्य में एलर्जी की संभवना कम हो जाती हैं, और वैक्सीन से शरीर का इम्यून सिस्टम नियंत्रित हो जाता हैं, जिससे शरीर में एलर्जी रोग लड़ने की क्षमता स्वत: हो जाती हैं एवं मरीजो को एलर्जी रोग से छुटकारा मिलने की संभवना बढ़ जाती हैं I यदि किसी व्यक्ति को एलर्जी की समस्या है तो अपने नजदीक के डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। दरअसल, इसकी जाँच एलर्जी टेस्टिंग द्वारा की जाती है, जिसके द्वारा एलर्जी के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त हो जाती हैं I 

इनपुट : डॉ. एस. के पाठक, वरिष्ठ श्वांस, टी.बी एवं एलर्जी रोग विशेषज्ञ, ब्रेथ ईजी हास्पिटल, वाराणसी।