“शक्ति स्वरूपा” : हर महीने 800 से 1000 महिलाओं तक पैड्स पहुंचा रहीं हैं प्रमिला शर्मा

ऐसे ही कठिन काम को करने का बीड़ा उठाया रायपुर छत्तीसगढ़ की डॉ प्रमिला शर्मा ने. एक हाउस वाइफ ने महिला हाइजीन को टार्गेट किया और रायपुर के आसपास की महिलाओं और बच्चियों को स्वच्छता को लेकर जागरूक करना शुरू किया. ..

“शक्ति स्वरूपा” : हर महीने 800 से 1000 महिलाओं तक पैड्स पहुंचा रहीं हैं प्रमिला शर्मा

फीचर्स डेस्क। चैत्र नवरात्रि स्टार्ट हो चुकी है, आज दूसरा दिन है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी focus24news ने देश के उन “शक्ति स्वरूपा” की कहानी लेकर आया है जो आज समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए अपना समय निकाल कर उनको आत्मनिर्भर और उनके स्वास्थ्य के लिए काम कर रहीं हैं। तो आइए जानते हैं आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में प्रमिला शर्मा के बारें में जो वीमेन हाईजीन पर काम करके महिलाओं को जागरूक कर रहीं हैं।

कागजों में बातें होती हैं हकीकत जुदा है

प्रमिला शर्मा कहती हैं कि वीमेन हाईजीन एक ऐसी बड़ी समस्या है जिससे देश में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग आज भी जूझ रहा है। ये स्वास्थ्य एजेंसियों के द्वारा सबसे कम कवर किये जाने वाला विषय है। कागजों में तो काफी बातें होती हैं लेकिन हकीकत इससे काफी जुदा है। देश में अभी भी केवल 57.6 महिलाएं पीरियड्स के दौरान सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं। 42 फीसदी महिलाएं अभी भी पुराने तरीकों का प्रयोग कर रही है जिसके कारण कई बीमारियाँ और बड़ी संख्या में मौत भी होती हैं। महिला स्वच्छता पर खुलेआम बात करना समाज में आज भी काफ़ी कठिन है। 

 न सरकारी सहयोग और न ही जन सहयोग

ऐसे में इस कठिन काम को करने का बीड़ा उठाया रायपुर छत्तीसगढ़ की डॉ प्रमिला शर्मा ने। एक हाउस वाइफ ने महिला हाइजीन को टार्गेट किया और रायपुर के आसपास की महिलाओं और बच्चियों को स्वच्छता को लेकर जागरूक करना शुरू किया। ये एक ऐसा कार्य है जहां सरकारी सहयोग भी काफी कम है और जन सहयोग भी नहीं मिलता है। ऐसे में इस काम को हाथ में लेना आसान नहीं था लेकिन जब जिद हो तो कुछ भी हो जाता है।

 हर महिला और बच्ची तक सेनेटरी पैड्स पहुँचाने का कर रही कार्य

प्रमिला के अनुसार इनको कई प्रकार की समस्याओं से दो चार होना पडा सामाजिक ताने फंड की कमी इन सब के चलते अपने और कुछ साथियों के योगदान से हर महिला और बच्ची तक सेनेटरी पैड्स पहुँचाने का कार्य 2015 से कर रही हैं। प्रमिला कहती हैं अभी भी हम एक छोटे से वर्ग को ही टारगेट कर पा रहे हैं। मैं हर महिला को जागरूक करना चाहती हूँ और हर महीने पीरियड्स के दिनों के उनके दर्द को कुछ कम करना चाहती हूँ। लेकिन ये संभव नहीं हो पा रहा है। हर महीने हम 800 से 1000 महिलाओं तक पैड्स पहुंचा रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को तो कम से कम 2 महीने तक पैड्स देते हैं।

 प्रमिला शर्मा BHMS हैं, मिल चुके हैं कई पुरस्कार

प्रमिला को  रायपुर में उनके इस कार्य के लिए काफी सराहा जाता है. राष्ट्रीय प्राद्योगिकी संस्थान (NIT) रायपुर भी उनको गेस्ट स्पीकर के रूप में आमंत्रित कर चुका है। प्रमिला शर्मा BHMS हैं। इसके अलावा कई पुरस्कार भी उनको इस कार्य के लिए मिल चुके हैं। महिला हाइजीन के अलावा भी अनेक सामाजिक कार्यों में वे आगे रहती हैं। इसमें परिवार का पूरा सहयोग मिलता है।

वालंटियर खड़े करना चाहती हैं प्रमिला 

क्या प्रमिला अपने कार्य से  संतुष्ट हैं, उनका कहना है कि बिल्कुल नहीं जब तक हर महिला की हाइजीन की समस्या सोल्व नहीं हो जाती उनको संतोष नहीं मिलेगा। अब वे रायपुर से बाहर देश के अन्य क्षेर्त्रो में भी कुछ ऐसे वालंटियर खड़े करना चाहती हैं जो इस काम को अच्छे से कर सकें। कोरोना के समय प्रमिला ने एक नया टार्गेट लिया कोरोना पीड़ितों की मदद करना। किसी के लिए अस्पताल, एम्बुलेंस की व्यवस्था, ऑक्सीजन की व्यवस्था, खून की व्यवस्था करना। देश भर में कार्य कर रही कई संस्थाओं के साथ समन्वय किया और सैकड़ों जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाई।