वास्तु टिप्स: धन से परिपूर्ण और खुशहाल रहेगा परिवार, बस किचन से रिलेटेड इन बातों का रखें ख्याल
महिलाएं अकसर किचन से जुड़ी कुछ खास बातों को अनदेखा कर देती है जिस वजह से उन्हें कई तरह की मुश्किलें आती है। आज हम आपको उन खास बातों के बारें में बताएंगे जिन्हें अपनाकर आप ...
फीचर्स डेस्क। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का किचन दक्षिण-पूर्व दिशा अर्थाथ आग्नेय कोण में बनाना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि ऐसा ना हो सके तो किचन को पूर्व दिशा में भी बनाया जा सकता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा या उत्तर-पश्चिम दिशा आग्नेय में किचन बनाना वास्तुशास्त्र की दृष्टी से अच्छा नही माना जाता है। ऐसा कहना है ज्योतिष और वस्तु एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी का। आइए जानते हैं किचन से रिलेटेड और भी जानकारियाँ...
खाना बनाने वाले का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए
किचन में खाना बानाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण जैसे- स्टोव, चू्ल्हा, बर्नर या ओवन आदि पूर्व दिशा में होना चाहिए। घर में भोजन पकाने का स्थान (प्लेटफार्म) पूर्व दिशा में दीवार के सहारे बनाना चाहिए ताकि खाना बनाते समय, खाना बनाने वाले का मुख पूर्व की ओर हो। यह वास्तुशास्त्र के अनुसार अच्छा माना जाता है।
इन बातों का भी रखें ख्याल
1.किचन में पीने का पानी, नल की टोटी एवं वाश- बेसिन उत्तर-पूर्व दिशा में और फ्रिज पश्चिम दिशा में रखना उचित होता है।
2.घर में किचन का मुख्य द्वार भोजन बनाने वाले के ठीक पीछे नहीं होना चाहिए यह वास्तुशास्त्र की दृष्टी से उत्तम नही होता है।
3.किचन में चूल्हे (गैस) एवं पानी रखने के स्थान के बीच उचित दूरी रखें तथा किंचन में टूटे-फूटे बर्तन ना रखें।
4.किचन से थोड़ी दूरी पर ही डाईनिंग टेबल रखा जाता है जहां घर के सभी लोग भोजन करते हैं। डाईनिंग टेबल गोल या अंडे के अकार का नही होना चाहिए।
5.यदि घर में अलग से डाईनिंग रुम बनाना है तो इसे वास्तुशास्त्र के अनुसार यह पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
6.डाईनिंग रुम का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा की तरह कभी भी नही रखना चाहिए, यह वास्तुशास्त्र की दृष्टि से अच्छा नही माना जाता है।
इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी (पोद्दार), भोपाल सिटी।